History of OSI Model in Hindi (OSI मॉडल का इतिहास)
दोस्तों, सन् 1970 के दशक में, जब कंप्यूटर नेटवर्क का विकास (Growth) काफी अधिक होने लगा तब नेटवर्क create करने तथा नेटवर्क को मैनेजमेंट करने में complexity बढ़ने लगा क्योकि इस समय अलग – अलग प्रकार के ऑपरेटिंग सिस्टम के बिच में नेटवर्क create किये जाने लगा तथा साथ ही विभिन्न कंपनीयों के द्वारा बनाये जाने वाले नेटवर्क डिवाइसों को भी नेटवर्क को क्रिएट करने में उपयोग किया जाने लगा।
अतः दोस्तों, हम कह सकते है जैसे-जैसे नेटवर्क में ग्रोथ होने लगी वैसे-वैसे ही नेटवर्क create करने में complexity (दिक्कत) बढ़ने लगी। जिसके कारण नेटवर्क create करने तथा नेटवर्क को मैनेजमेंट करने में problem होने लगी। इस प्रॉब्लम को identify करके OSI (International Organization for Standardization) ने सन् 1978 में Network Specifications का एक सेट (set) प्रस्तुत किया था। जो विभिन्न डिवाइसों को नेटवर्क में जोड़ने के लिए नेटवर्क आर्किटेक्चर (Network Architecture) का वर्णन करता है। इसके पश्चात् सन् 1984 में ISO (International Standards Organization) ने इस मॉडल का रिविजन (revision) प्रस्तुत किया जिसे ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (OSI) रिफरेन्स मॉडल कहा गया।
What is OSI Model in Hindi (OSI मॉडल क्या है)
OSI का तात्पर्य Open System Interconnection है OSI रिफरेन्स मॉडल data communication का एक स्टैंडर्ड्स मॉडल है जिसके द्वारा नेटवर्क में Data Transmission के समय, कंप्यूटरों के हार्डवेयर और सॉफ्टवेर में होने वाले changes एवम् फंक्शन को 7 लेयर में डिफाइन किया गया है।
दुसरे शब्दों में, जब नेटवर्क में कंप्यूटर के मध्य डाटा ट्रांसमिशन होता है तो डाटा ट्रांसमिशन के प्रोसेस में कंप्यूटर द्वारा कई प्रकार के फंक्शन परफॉर्म किये जाते है जिसे OSI ने सात लेयर में डिफाइन किया है अर्थात OSI रिफरेन्स मॉडल 7 लेयर का एक framework है जिसके द्वारा नेटवर्क में कंप्यूटर और डिवाइसों के मध्य डाटा ट्रांसमिशन के समय होने वाले फंक्शन को सात लेयर में डिफाइन किया गया है।
दोस्तों, Open Interconnection का तात्पर्य एक ऐसा नेटवर्क कनेक्शन से है जिसमें विभिन्न कंपनीयों द्वारा बनाये जाने वाले कंप्यूटरों और नेटवर्क डिवाइसों को आपस में interconnect किया जा सके अर्थात एक ही नेटवर्क में सभी को connect किया जा सके।
वास्तव में OSI, ओपन इंटरकनेक्शन का एक स्टैण्डर्ड मॉडल है जो नेटवर्क कम्युनिकेशन के लिए एक इंटरनेशनल स्टैण्डर्ड बन चूका है क्योकिं विभिन्न प्रकारों के नेटवर्क डिवाइसों को बनाने वाले सभी निर्माता कंपनीयां अपने प्रोडक्ट को बनाते समय OSI रिफ़रेंस मॉडल का अनुपालन करता है।
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Layer & Function Block of OSI Reference Model (OSI रिफरेन्स मॉडल के लेयर एवम् फंक्शन ब्लाक)
OSI Reference Model के 7 लेयर को दो फंक्शन ब्लॉक में बाँटा गया है जिसके पहला फंक्शन ब्लॉक को Application Support Block कहा जाता है और उसके दुसरे ब्लॉक को नेटवर्क सपोर्ट ब्लॉक कहा जाता है। जो निम्नलिखित है: –
Application Support Block of OSI Model
application support block का कार्य नेटवर्क में communicate करने वाले डिवाइसों के सॉफ्टवेर प्रोग्राम को नेटवर्क से connect करने के लिए होता है। इस ब्लॉक के अंदर तीन लेयर application layer, Presentation layer और session layer आते है।
NetworkSupport Block of OSI Model
Network support block नेटवर्क में data को move करने के लिए responsible होता है इसके अंतर्गत OSI मॉडल के 4 लोवर लेयर transport, network, data link और physical layer आते है।
OSI Reference Model के लेयर
OSI रिफरेन्स मॉडल 7 लेयर का एक framework है जिसके द्वारा नेटवर्क में कंप्यूटर और डिवाइसों के मध्य डाटा ट्रांसमिशन के समय होने वाले फंक्शन को सात लेयर में डिफाइन किया गया है जो निम्नलिखित है: –
7. Application Layer
6. Presentation Layer
5. Session Layer
4. Transport Layer
3. Network Layer
2. Data Link Layer
1. Physical Layer
7. Application Layer
6. Presentation Layer
5. Session Layer
4. Transport Layer
3. Network Layer
2. Data Link Layer
1. Physical Layer
1. Physical Layer: – यह OSI मॉडल का पहला लेयर है जो पूरी तरह से हार्डवेयर से सम्बंधित है इसका मुख्य कार्य डाटा को बिट के रूप में ट्रांसमिट करना होता है। नेटवर्क में एक नोड से दुसरे नोड में ट्रांसमिट होने वाले बिट के ट्रांसमिशन के लिए responsible होता है।
Ø फिजिकल लेयर के फंक्शन: – फिजिकल लेयर विभिन्न प्रकार के फंक्शन के लिए responsible होता है जो निम्नलिखित है: –
- Data को binary bit के रूप में represent एवम् ट्रांसमिट करना।
- bit को सिंक्रोनाइज करने का कार्य।
- Device के function और procedure को डिफाइन करना।
Ø फिजिकल लेयर में काम करने वाले डिवाइस: – ओ एस आई मॉडल के इस लेयर में केबल और विभिन्न प्रकार के डिवाइस जैसे: – हब स्विच मॉडेम ब्रिज इत्यादि।
2. Data Link Layer: – यह OSI मॉडल का दूसरा लेयर है जो नेटवर्क में एक नोड से दुसरे नोड तक डाटा को फ्रेम के रूप में ट्रांसमिशन के लिए responsible होता है। यह लेयर node to node delivery के लिए जिम्मेदार होता है।
Øडाटा लिंक लेयर के फंक्शन: – फिजिकल लेयर विभिन्न प्रकार के फंक्शन के लिए responsible होता है जो निम्नलिखित है: –
- Framing
- Physical Addressing
- Flow Control
- Error Control
- Access control
3. Network Layer: – यह OSI मॉडल का तीसरा लेयर है जो source से destination तक डाटा पैकेट को ट्रांसमिट करने के लिए responsible होता है। नेटवर्क लेयर का अन्य कार्य डाटा पैकेट की एड्रेसिंग तथा उसके लिए बेस्ट पाथ का निर्धारण करना है। नेटवर्क लेयर में मुख्य रूप से राउटर काम करता है जो डाटा पैकेट के पाथ का निर्धारण करता है। नेटवर्क लेयर source to destination delivery के लिए responsible होता है।
Øनेटवर्क लेयर के फंक्शन: – नेटवर्क लेयर विभिन्न प्रकार के फंक्शन के लिए responsible होता है जो निम्नलिखित है: –
- Logical Addressing (IP Addressing)
- Routing Algorithm
- Best Path का selection करना।
Øनेटवर्क लेयर के प्रोटोकॉल: – नेटवर्क लेयर में मुख्य रूप से IP(Internet Protocol) कार्य करते है।
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4. Transport Layer: – यह OSI मॉडल का चौथा लेयर है जो process to process delivery के लिए responsible होता है। ट्रांसपोर्ट लेयर का मुख्य कार्य ट्रांसमिट किये जाने वाले डाटा या मैसेज को छोटे छोटे पार्ट अर्थात सेगमेंट में डिवाइडकरना होता है साथ ही data ट्रांसमिशन के लिए flow control एवम् error control जैसे ऑपरेशन को परफॉर्म करते है।
ØTransport के function: – ट्रांसपोर्ट लेयर के द्वारा विभिन्न प्रकार के फंक्शन परफॉर्म किया जाता है जो निम्नलिखित है: –
- Segmentation (डाटा को सेगमेंट में बाँटना)
- Re-sequencing & Re-transmit
- Error Control
- Flow Control
Øट्रांसपोर्ट लेयर के प्रोटोकॉल: – ट्रांसपोर्ट लेयर में दो प्रोटोकॉल TCP(Transmission Control Protocol) और UDP(User Data Protocol) कार्य करते है।
5. Session Layer: – यह OSI मॉडल का पांचवां लेयर है जो डिवाइसों के बिच होने वाले कनेक्शन के लिए responsible होता है दुसरे शब्दों में सेशन लेयर का मुख्य कार्य डिवाइसों के बिच में होने वाले कनेक्शन को कण्ट्रोल करने के लिए किया जाता है। सेशन लेयर dialog control और synchronization के लिए responsible होता है।
ØSession Layer के Function: – सेशन लेयर के द्वारा विभिन्न प्रकार के फंक्शन परफॉर्म किया जाता है जो निम्नलिखित है: –
- कम्युनिकेशन के लिए Connection establish करना।
- कम्युनिकेशन के लिए Connection चालू रखना।
- कम्युनिकेशन होने के बाद Connection बंद करना।
- Dialog Control
- Synchronization
6. Presentation Layer: – यह ओ एस आई मॉडल का छटवां लेयर है जो डाटा कन्वर्शन, डाटा कम्प्रेशन, इन्क्रिप्शन/डिक्रिप्शन के लिए responsible होता है।
प्रेजेंटेशन लेयर का मुख्य कार्य नेटवर्क में डिवाइसों के मध्य होने वाले ट्रांसमिशन में डाटा के फॉर्मेट को नियंत्रण करना होता है इस लेयर में डाटा को एनकोड तथा डिकोड भी किया जाता है साथ ही डाटा को encrypt एवम् decrypt भी किया जाता है।
उदाहरण: – दोस्तों जब दो अलग अलग ऑपरेटिंग सिस्टम एवम् एप्लीकेशन वाले डिवाइसों के बिच कम्युनिकेशन होता है तो उस स्थिति में डाटा का फॉर्मेट अलग अलग हो सकता है इस स्थिति में प्रेजेंटेशन लेयर के माध्यम से डाटा ट्रांसलेट होता है।
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ØPresentation layer के function: – प्रेजेंटेशन लेयर के द्वारा विभिन्न प्रकार के फंक्शन को परफॉर्म किया जाता है जो निम्नलिखित है: –
- Data Translation (डाटा का ट्रांसलेशन करना)
- Data Encryption/Decryption
- Data Compression
7. Application Layer: – एप्लीकेशन लेयर OSI मॉडल का सबसे उपरी लेयर है जिसका मुख्य कार्य नेटवर्क सर्विसेस को एक्सेस करने के लिए एप्लीकेशन प्रोग्राम को enable करना होता है। एप्लीकेशन लेयर के माध्यम से प्रोग्राम नेटवर्क सर्विस तथा उसके रिसोर्स को एक्सेस करता है। दुसरे शब्दों में एप्लीकेशन लेयर network services और application के बिच में इंटरफ़ेस का कार्य करता है।
उदाहारण: – एप्लीकेशन लेयर का उदाहरण ब्राउज़र, जिसका उपयोग यूजर इन्टरनेट या नेटवर्क को एक्सेस करने के लिए करता है।
ØApplication Layer के Function: – एप्लीकेशन लेयर के द्वारा विभिन्न प्रकार के फंक्शन को परफॉर्म किया जाता है जो निम्नलिखित है: –
- File Transfer
- File Access & Management
- Directory Services
- Network Access (Authentication)
- Mail Services
- Virtual Terminal
Øएप्लीकेशन लेयर के प्रोटोकॉल: – Application Layer में विभिन्न प्रकार के प्रोटोकॉल कार्य करते है जैसे HTTP(hypertext transfer protocol), FTP( file transfer protocol), SMTP( simple mail transfer Protocol), DNS(Domain Name system) इत्यादि।
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